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सुबह 9 से 11 : (अग्न्याशय व प्लीहा में) - यह समय भोजन के लिए उपयुक्त है । दोपहर 11 से 1 : (हृदय में)- दोपहर १२ बजे के आसपास (मध्यह्न- संध्या) ध्यान, जप करें । भोजन वर्जित है ।
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दोपहर 1 से 3 : (छोटी आँत में)- भोजन के करीब २ घंटे बाद प्यास अनुरूप पानी पीना चाहिए । दोपहर 3 से 5 : (मूत्राशय में)- २-४ घंटे पहले पिये पानी से इस समय मूत्र त्याग की प्रवृत्ति होगी ।
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शाम 5 से 7 : गुर्दों में (Kidneys)- इस समय हलका भोजन कर लेना चाहिए । सूर्यास्त के १० मिनट पहले से १० मिनट बाद तक (संध्याकाल में) भोजन न करें अपितु संध्या करें ।
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रात्रि 7 से 9 : (मस्तिष्क में)- इस समय मस्तिष्क विशेषरूप से सक्रिय रहता है । अतः पढ़ा हुआ पाठ जल्दी याद रह जाता है । रात्रि 9 से 11 : (मेरूरज्जु में)- इस समय की नींद सर्वाधिक विश्रांतिप्रदान करती है ।
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रात्रि 11 से 1 : (पित्ताशय में)- इस काल में जागरण पित्त बढ़ाता है । रात्रि 1 से 3 : (यकृत में)- इस काल में जागरण से पाचनतंत्र बिगड़ता है । -📖 ऋषि प्रसाद : जून-२०२१
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